इसरो का मिशन चंद्रयान-2 भले ही इतिहास नहीं बना सका लेकिन वैज्ञानिकों को देश सलाम कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक पिछले काफी लंबे समय से दिन-रात एक करके इस मिशन को सफल बनाने में जुटे थे, जो आंखे बड़ी उत्सुकता से स्क्रीन पर मिशन चंद्रयान-2 के हर कदम को परख रही थी, वो अचानक उस वक्त ठिठक गईं जब लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया.
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चंद्रयान-2' के लैंडर 'विक्रम' का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। चंद्रयान-2 के बारे में अभी जानकारी का इंतजार है। इसरो के कंट्रोल रूम में वैज्ञानिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। डाटा का अध्ययन अभी जारी है। इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो चेयरमैन के. सिवन ने कहा, ''लैंडर 'विक्रम' को चंद्रमा की सतह पर लाने की प्रक्रिया सामान्य देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया।
क्यों टूटा संपर्क, जानें क्या थीं कठिनाइयां:
2- इसके अलावा जब लैंडिग होगी तो प्रोपल्शन सिस्टम ऑन होने के कारण चंद्रमा की सतह से धूल उड़ेगी, जिसकी वजह से लैंडर के सोलर पैनल की पावर सप्लाई पर असर पड़ता है।
3- यही नहीं धूल के कारण ऑनबोर्ड कम्प्यूटर सेंसर्स में भी प्रॉब्लम आ आती है।
4- चांद के जिस हिस्से पर चन्द्रयान-2 लैंडिंग करने वाला था वहां सबसे ज्यादा अंधेरा रहता है।
5- इसके अवाला चन्द्रयान-2 चांद के जिस दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना था वहां का मौसम भी परेशानियां खड़ा करने वाला होता है।