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  • बिहार भारतवर्ष  के उत्तर भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है.
  • इसकी राजधानी पटना है.
  • बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है.
  • बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है.


बिहार नाम परने का कारण और इसके पीछे का इतिहास :-
सबसे पहले बिहार शब्द का अर्थ क्या है यह समझते हैं?
बिहार शब्द संस्कृत और पाली भाषा के शब्द “विहार” (Vihar) से बना है जिसका अर्थ होता है “आवास’ या रहने का स्थान.
यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि कुछ लोग विहार के अर्थ को घूमने-फिरने के संदर्भ में लेते हैं जो कि गलत है।
बिहार का वर्तमान क्षेत्र मौर्य से लेकर गुप्त काल तक मगध के नाम से जाना जाता था और मगध की राजधानी पाटलिपुत्र हुआ करती थी.
यह क्षेत्र भगवान बुद्ध की कार्यस्थली होने के कारण बौद्ध भिक्षुओं के लिए तीर्थस्थली के जैसा था और भारी संख्या में बौद्ध सन्यासी और श्रद्धालु यहाँ आते थे.
भगवान बुद्ध ने इसी क्षेत्र के गया में निरंजना नदी के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे मोक्ष प्राप्त किया था.
मौर्य वंश से लेकर गुप्त काल तक और बाद के शासकों ने भी बौद्ध श्रद्धालुओं के रहने और निवास करने के लिए कई आवासों का निर्माण कराया था, इन आवासों को “विहार” के नाम से जाना जाता था.
इन विहारों में कुछ बौद्ध मठ भी हुआ करते थे, इस स्थान में बौद्ध और जैन विहारों की अधिकता के कारण इसे बाद में विहार के नाम से जाना जाने लगा।
यह क्षेत्र न केवल बौद्ध सन्यासियों के लिए बल्कि बौद्ध धर्म के केंद्र के तौर पर भी कार्य कर रहा था.
विहार का यह क्षेत्र शिक्षा के केंद्र के लिए भी विश्व विख्यात था, संस्कृत में विहार शब्द का एक अर्थ शिक्षा का केंद्र भी होता है.
उस समय, इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बौद्ध विहार बनाए गए जिनमें नालंदा विहार, विक्रमशिला विहार, ओदंतपुरी विहार इत्यादि प्रमुख हैं.
इस प्रकार हम यह देखते हैं कि इन “विहारों” की अत्यधिक मौजूदगी ने इस स्थान को विहार नाम दे दिया और  यह विहार बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान हुआ करते थे.

विहार और बिहार में अंतर :-
इतिहासकारों के अनुसार यही “विहार” ( Vihar) शब्द धीरे-धीरे बदलकर आम बोलचाल की भाषा में “बिहार” ( Bihar) बन गया, किन्तु विहार से यह स्थान बिहार कब बना, यह निश्चित नहीं है और ना ही इसका कोई प्रमाण है.
बिहार शब्द  लोगों की बोलचाल में धीरे-धीरे उपयोग होता गया और अंततः इस राज्य का नाम बिहार पड़ गया, अर्थात बौद्ध विहार और शिक्षा के केंद्र “विहार” (जैसे की नालंदा विश्वविद्यालय) इन दो विहारों से मिलकर बीहार नाम पड़ा.
बिहार के नाम का अध्ययन करने वाले भाषा वैज्ञानिकों का मानना है कि पूर्वी क्षेत्र की बंगाली और अन्य भाषाओं और बोलियों में “व” ध्वनि नहीं है.
“व” के बदले पूर्वी क्षेत्र कि बोलियों में “ब” ध्वनि का इस्तेमाल होता है, इस कठिनाई के चलते उस क्षेत्र के लोगों ने विहार का उच्चारण बिहार किया होगा.
तुर्की, अफगान और मुग़ल साहित्य में भी इस स्थान को बिहार के नाम से ही संबोधित किया गया है.
ऐतिहासिक विवरणों में बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों और बौद्ध साहित्य में मिलता है.बिहार बुद्ध के अलावा जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की प्रमुख कार्यस्थली भी था.
बिहार के नाम को फिर से बदलकर विहार करने की मांग कई बार उठती रही है, हालांकि बिहार के नाम को बदलने के ऊपर कोई एकराय नहीं हो पाई है


  • सन् 1936 ई• में ओडिशा और सन् 2000 ई• में झारखण्ड के अलग हो जाने से बिहार ने कृषि के दम पर और अपने मेधा को लेकर उन्नति की है.


बिहार का ओडिशा और झारखण्ड से अलग होने का इतिहास तथा कारण:-
बिहार और उड़ीसा ब्रिटिश भारत का एक प्रांत था.
जिसमें बिहार, झारखंड और ओडिशा के हिस्से के वर्तमान भारतीय राज्य शामिल थे.
18 वीं और 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, और भारत के सबसे बड़े ब्रिटिश प्रांत बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा बनाया था.
1 अप्रैल 1912 को बिहार और उड़ीसा विभाजन हुआ। 
दोनों बिहार और उड़ीसा प्रांत के रूप में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग हो गए थे और अंततः 22 मार्च 1936 को बिहार और उड़ीसा अलग प्रांत बन गए.

इतिहास और कारण:-
1756 में बिहार मुगल साम्राज्य के बंगाल सुबा का हिस्सा था, जबकि उड़ीसा एक अलग सुबा था.
बक्सर की लड़ाई( 22 अक्टूबर 1764 ) के परिणामस्वरूप  16 अगस्त 1765 को पूर्वी सम्राट आलमगीर द्वितीय के पुत्र मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और पूर्वी भारत कंपनी के रॉबर्ट, लॉर्ड क्लाइव के बीच इलाहाबाद संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे.
संधि राजनीतिक और संवैधानिक भागीदारी और भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत को चिह्नित करती है.
सामझौते के तौर पर कंपनी को मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय से बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई तथा पूर्वी बंगाल-बिहार-उड़ीसा के सम्राट की ओर से कर एकत्र करने का अधिकार दिया।
कंपनी ने अवध के नवाब से कड़ा और इलाहाबाद के जिले लेकर मुगल, सम्राट शाहआलम द्वितीय को दे दिए.
कंपनी ने मुगल सम्राट को 26 लाख रूपये की वार्षिक पेंशन देना स्वीकार किया. 
इलाहाबाद और कड़ा को छोड़कर अवध का शेष क्षेत्र नज्मुद्दौला को वापस कर दिया गया.
कंपनी द्वारा अवध की सुरक्षा हेतु नवाब के खर्च पर एक अंग्रेजी सेना अवध में रखी गई.
कंपनी को अवध में कर-मुफ्त व्यापार करने की सुविधा प्राप्त हो गयी.
शुजाउद्दौला को बनारस के राजा बलवंत सिंह से पहले की ही तरह लगान वसूल करने का अधिकार दिया गया,राजा बलवंत सिंह ने युद्ध में अंग्रेजों की सहायता की थी.
पटना के साथ 22 मार्च 1912 को बिहार और उड़ीसा बंगाल से अलग हो गए थे जो की उड़ीसा सहायक राज्यों सहित कई रियासतें प्रांतीय गवर्नर के अधिकार में थीं.
अंततः 22 मार्च 1936 को बिहार और उड़ीसा अलग प्रांत बन गए.




यह क्षेत्र गगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है.
प्राचीन काल में विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदे